Topi Ki Dastaan
टोपी की दास्तान दरअसल टोपी इफ़्फ़न जैसे दोस्तों की कहानी है, और 1947 में हुए देश-विभाजन की त्रासदी को बयान करती है। डॉ. राही मासूम रज़ा की यह कृति 60 के दशक में लिखी गयी लेकिन आज के बदलते हालात में भी बिलकुल सटीक बैठता है ।
विंग्स कल्चरल सोसाइटी ने इस पेशकश को किसी फॉर्म का मोहताज नहीं बनाया है। आइये चले, हम भी शामिल हो जाये, समाज से निरंतर ख़त्म होती जा रही मासूमियत को बचाने की इस मोहीम में, इफ़्फ़न और टोपी जैसे दिली और दिलचस्प किरदारों के संग.
संजीव कुमार
डॉ. राही मासूम रज़ा की इस मानीखेज़ कृति को अमली जामा पहनाने वाले तारिक़ हमीद कहते हैं के जब उन्होंने टोपी को पढ़ा था तो वह अमन और भाईचारे के इस ख़ूबसूरत बयान में डूबकर रह गए थे। उनका कहना हैं की डॉ. राही मासूम रज़ा की शख़्सियत से आनेवाली पीढ़ियाँ एक सकारात्मक सबक ले सकती हैं। डॉ. रज़ा ने न सिर्फ़ फिल्मों के लिए लिखा बल्कि फिल्मफेयर अवार्ड भी जीता, उन्होंने सबसे ज़्यादा शोहरत कमाई मशहूर टीवी धारावाहिक महाभारत के लिए डायलॉग लिख कर। वो सही मायनों में इस देश की गंगा-जमुना तहज़ीब की नुमायन्दगी करते थे।
विंग्स कल्चरल सोसाइटी,सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता पैदा करनेवाले, और अमन चैन की भाषा गढ़ने वालों के पक्ष के थिएटर कर्म में जुटी हुई है। अपने समाज के प्रति मुहब्बत से भरे इन कलाकारों का प्रतिनिधित्व करते हुए तारिक़ हमीद कहते है की एक बार किसी ने पूछा के आने वाली पीढ़ी जब मुझसे ये सवाल करेगी के ‘जब देश में चारों तरफ नफ़रत का माहौल था तो आप क्या कर रहे थे?’ इस पर उन्होंने जवाब दिया, ‘तब मैं टोपी की दास्तान के द्वारा प्रेम का संदेश फ़ैलाने का प्रयास कर रहा था।’
यह एक वाक्य इस प्रस्तुति का सार है।
8/15/2018
17:30
Haj Bhavan, Harding Road, Patna, Bihar 800001
Tarique Hameed